By vinkal prajapati:- We are surrounded by all the electronic gadgets in today’s time and all consider charging from time to time.
To charge all our devices, we have to use different chargers as they have different charging ports. This makes it more difficult when you are traveling It becomes difficult for us to carry all the chargers.
Only two types of charging ports in India
According to the news, only two types of charging ports will be identified in India and these ports will also be available.
This means that all devices from smartphones, laptops and tablets to earphones and speakers will use these two ports for charging. One of these ports can be a USB Type-C port. The same charging port will be used for feature phones as well. This can have a direct impact on Apple, whose iPhone’s charging port is different.
By vinkal prajapati :- जैसा की आप सभी को पता है कि टिक टॉक इंडिया में बैन हो चुका है और अब इसी टिक टॉक को नए नाम के जरिए अब इंडिया में फिर से लाया जा रहा है तो आज का हमारा आर्टिकल कुछ इसी प्रकार के सब्जेक्ट पर है आज हम आपको बताएंगे टिक टॉक का नया नाम क्या है टिक टॉक का जो नया नाम इस बार इंडिया में आ रहा है उसका नाम है बाइक डांस।
बाइट डांस भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश करने के नए तरीके का विचार बना रहा है। जिस कंपनी के पास टिक टॉक जैसे एप्लीकेशंस के प्लेटफार्म हैं उसे कुछ साल पहले ही हमारे देश से बाहर कर दिया गया था । एक रिपोर्ट के अनुसार बाय डांस भारत में ऐसे लोगों की तलाश कर रहा है जो कंपनी को बाजार में फिर से लांच करने के लिए कह रहे थे और वह उसकी मदद करेंगे इसके विकास के लिए पुराने और नए दोनों तरह के कर्मचारियों को फिर से काम पर रखने में मदद कर सके ।।
क्यों किया गया था टिक टॉक बैन इंडिया में
जैसा कि आप सब जानते हैं कि टिक टॉक पर बहुत से भारतीय लोग थे जो उस पर वीडियो बना रहे थे और अपना सारा का सारा डाटा दे रहे थे इससे इंडिया के सभी लोग टिक टॉक पर जुड़ रहे थे और सभी लोग अपने डाटा दे रहे थे टिक टॉक को बैन करने की सबसे बड़ी वजह थी कि वह हमारे देश का डाटा किसी दूसरे देश में पहुंचा था जैसे कि जहां तक आशा थी कि चीन में इस डाटा को पहुंचाया जा रहा था तो यह बात जैसे ही भारत सरकार को पता चली उन्होंने तुरंत ही है इस ऐप पर बैन लगा दिया इस ऐप पर बैन 2020 में लगाया गया पिता का 2 साल से अधिक के अंतराल के बाद आज बाजार में अपनी वापसी करना चाहता है।
अभी नाम को बदलकर कर सकता है भारत में एंट्री
टिक टॉक जो कि भारत में बंद हो चुका है तो वह अब भारत में तो नहीं आएगा पर उसका नाम वाइट डांस क्राफ्ट टंकी रंजीत का पालन कर सकता है जो पब जी मोबाइल को देश में वापस लाने में कामयाब रहा जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पब जी मोबाइल भी भारत में बैन हो चुका था लेकिन इसमें कुछ टेक्नोलॉजी की वजह से या इंडिया में फिर से आ चुका है तो उसी का यूज करके टिक टॉक भी इंडिया में आना चाहता है तुझे सेटिंग पब्जी बंद हुआ तो उसका नाम पब्जी था तो इंडिया में आने के बाद उसका नाम चेंज किया गया जिसका नाम रखा गया बैटलग्राउंड मोबाइल इंडिया तो उसी तरह से टिक टॉक का भी नाम चेंज करके बाइट डांस रख दिया जाएगा
People spending 4.8 hours of Day on smart phones : स्मार्टफोन (Smartphone) हमारी लाइफ का अहम हिस्सा हो चुका है. कोरोना काल में तो मानों हमारी पूरी दुनिया ही मोबाइल पर सिमट कर रह गई है.
बाहर निकलना कम हो गया है, वीडियो कॉल या कॉनकॉल (Concall) के जरिए ही हम अपने दोस्तों से मिलने से लेकर, ऑफिस मीटिंग्स अटैंड कर लेते हैं. हालांकि जानकार समय-समय पर फोन पर बिताए जाने वाले समय को लेकर चेताते रहे हैं. दुनियाभर में लोगों के मोबाइल यूज करने के टाइम को लेकर चौंकाने वाली रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है. एप एनी (App Annie) की हाल ही में जारी स्टेट ऑफ मोबाइल रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैश्विक स्तर पर यूजर्स ने 2021 में मोबाइल पर रिकॉर्ड 3.8 लाख करोड़ घंटे बिताए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लोग रोजाना औसतन 4.8 घंटे मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं. ये अवधि उनके जागने के घंटों की लगभग एक तिहाई के बराबर है.
ब्रिटेन में 2021 तक प्रतिदिन फोन पर बिताया गया औसत समय चार घंटे था, जो साल के वैश्विक औसत 4.8 घंटे से कम था. पर वहां मोबाइल का उपयोग 2019 में रोजाना तीन घंटे और 2020 में 3.7 घंटे प्रतिदिन से बढ़ गया है.
क्या कहते हैं जानकार
एप एनी (App Annie) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 ‘रिकार्ड-ब्रेकिंग’ था क्योंकि यूजर मोबाइल लाइफस्टाइल को अपनाना और बड़ी स्क्रीन से दूरी बनाना जारी रखे हुए हैं. एप एनी के सीईओ (CEO) थियोडोर क्रांत्ज (Ted Krantz) ने कहा, बड़ी स्क्रीन धीरे-धीरे खत्म हो रही है, क्योंकि मोबाइल समय बिताने, डाउनलोड करने और कमाई समेत लगभग हर श्रेणी में रिकार्ड तोड़ रहा है.
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भारत चौथे स्थान पर
क्या आप जानते हैं कि भारतीय औसतन प्रतिदिन लगभग 2.25 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं, जो कि वैश्विक औसत प्रतिदिन 2.5 घंटे से थोड़ा कम है. भारत में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ी है और साल 2021 में ये 448 मिलियन हो गई, जो मुख्य रूप से पूरे भारत में स्मार्टफोन के व्यापक उपयोग से बढ़ी है, जबकि इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़कर लगभग 624 मिलियन हो गई है, जो भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 45 प्रतिशत है.
एप एनी (App Annie) के डेटा के अनुसार, भारतीयों ने साल 2021 में औसतन 4.7 घंटे रोज स्मार्टफोन पर बिताए, प्रत्येक व्यक्ति द्वारा 2021 में मोबाइल फोन के इस्तेमाल के मामले में भारत वर्ल्ड में चौथे स्थान पर रहा है. पहले स्थान पर 5.4 घंटे के साथ ब्राजील और इंडोनेशिया हैं. दूसरे स्थान पर 5 घंटे के साथ साउथ कोरिया और तीसरे स्थान पर 4.8 घंटे के साथ मेक्सिको रहा. भारतीयों ने साल 2021 में 2600 करोड़ बार कोई मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड की थी, जिसमें 100 करोड़ सिर्फ फाइनेंशियल एप्लीकेशंस जैसे यूपीआई, बैंक, स्टॉक, लोन ऐप थी.
जैसा कि आप सभी जानते हैं गूगल पर आज के समय में कितना ज्यादा प्रचलित मनी ट्रांसफर एप्प है गूगल पे ने बुधवार को पाइपलाइन के साथ मिलकर यूपीआई के लिए टेप टू लांच करने की घोषणा कर दी है यह एक ऐसी कार्य क्षमता है जिसका उद्देश्य टाइप टू पर टू यू पी आई की सेहत सुविधा लाना है और गूगल अपने कामों को बहुत ही बेहतर बना रहा है और यूजर्स के लिए नए नए फीचर्स लेकर आ रहा है
आपको बताते चलें टैटू पर केवल कार्ड के लिए उपलब्ध था अभी तक यह सिर्फ कार्ड पर ही उपलब्ध था
गूगल प्ले सिक्योरिटी को देखते हुए भुगतान करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने फोन को बस टर्मिनल पर टाइप करना होगा और अपने यूपीआई पिन का उपयोग करके अपने फोन से भुगतान को प्रमाणित करना होगा क्यूआर कोड या यूपीआई से जुड़ी मोबाइल नंबर को स्कैन करने दर्ज करने की प्रक्रिया को लगभग खाली बनाना होगा गूगल ऐप को लगभग अपडेट कर रहा है और ज्यादा बेहतर हो सके। जिससे यूजर को चलाने में और उसकी प्राइवेसी के साथ कोई छेड़खानी ना हो।
गूगल केपीएस ई बिजनेस है हेड सजीथ शिवानंदन ने एक बयान में कहा “भारत में फिटनेस विकास दुनिया के लिए प्लेबुक लिख रहा है ” पहले यूपीआई के साथ वास्तविक समय भुगतान करने के साथ और आगे प्रवाह के साथ विचार करके जो लेनदेन के समय को लगभग कर देता है यूपी के लिए का आउटलेट के लिए गहरा प्रभाव पड़ता है दूर ले जा रहा है
गूगल की कार्य क्षमता किसी भी यूपीआई उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध होगी जो देश भर में किसी भी पाइप लैब्स एंड्राइड ओएस 10 मिनट का उपयोग करने के लिए अपने एनएफसी एंड्रॉयड स्मार्टफोन का उपयोग करना चाहते हैं
जैसा की आप सब जानते हैं अभी UP बोर्ड का एग्जाम चल रहा है तो आपको बता दें कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा 2022 का अंग्रेजी विषय का प्रश्न पत्र बुधवार को लीक हुआ । जिसका परिणाम यह हुआ 316 ED और 316 EI सीरीज का प्रश्न पत्र से बुधवार को 24 सीटों में द्वितीय पाली में होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का कहना है कि जो भी धोखाधड़ी हुई है जिनसे भी हुई है उन्हें जल्द से जल्द सजा दी जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्पेशल टास्क फोर्स ने जांच शुरू कर दी है प्रश्न पत्र लीक मामले में प्रथम दृष्टया दोषी बालिका के जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश कुमार मिश्र को निलंबित किया है मामले में दोषी आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बोर्ड परीक्षा बुधवार को द्वितीय पाली में 12वीं की परीक्षा अंग्रेजी की होने के लिए प्रस्तावित की गई थी बलिया में 316 ED और 316 EI सीरीज का प्रश्न पत्र लीक होने का प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने से शिक्षा विभाग और शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया और इन दो सीरीज के प्रश्न पत्र से 24 जिलों में परीक्षा होनी थी माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी के निर्देश पर शासन के 24 जिलों में द्वितीय पाली में होने वाली अंग्रेजी विषय की परीक्षा को निरस्त कर दिया है शासन ने 13 अप्रैल को पहली पाली में सुबह 8 बजे से लेकर 11:15 तक पुनः परीक्षा कराने का निर्णय किया है
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने हुए इस धोखाधड़ी को निपटाने के लिए एसटीएफ जांच के निर्देश दिए निर्देश पर एसटीएफटी टीम मामले की जांच के लिए वाराणसी से बलिया पहुंच गई बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश कुमार मिश्र को प्रथम दृष्टया लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित किया।
8 लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा हुई निरस्त
अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि इन 24 जिलों में परीक्षा नही हुई है वह इंटरमीडिएट में करीब आठ लाख से अधिक अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी थी
हमें तो गूगल मैप के बारे में बहुत बारिश सुना होगा और आपने गूगल मैप पर लोकेशन भेज देखा होगा तो क्या आप जानते हैं दुनिया में कई ऐसी जगह है जिन्हें गूगल मैप के जरिए नहीं देखा जा सकता क्योंकि यह जगह गूगल मैप पर ब्लर है
गूगल मैप पर बहुत सारी ऐसी चीजें ब्लर हैं यानी कि गायब है जो नॉर्मल इंसान को गूगल मैप के जरिए नहीं मिल सकती इस कदम को सुरक्षा कारणों की वजह से उठाया गया है जिससे किसी को हानि ना पहुंचे
हम आपको बताते चलें कि कुछ महीनों पहले एप्पल किसी टीम को का घर गूगल मैप से गायब कर दिया गया था इसके पीछे का कारण था कि एक महिला को का पीछा कर रही थी यहां तो सुरक्षा के नजरिए से ऐसा किया गया था लेकिन दुनिया में कई ऐसी जगह है जिन्हें गूगल मैप के जरिए नहीं देखा जा सकता क्योंकि यह जगह गूगल मैप कलर यानी गायब हो चुकी हैं द सन की रिपोर्ट के मुताबिक गूगल कई जगहों के लोकेशन को अपने में से हटा चुका है आइए जानते हैं ऐसी कुछ खास जगहों के बारे में जो ब्लर यानी कि गायब हो चुकी हैं
गूगल मध्य फ्रांस में मौजूद जेल को सेंसर कर चुका है जो अभी इस वक्त पर है जो कभी भी आपको गूगल मैप पर देखने को नहीं मिलेगा 2018 में फ्रांस सरकार के निवेदन पर सुरक्षा कारणों की वजह से ऐसा किया गया था वहीं दक्षिण प्रशांत महासागर में मौजूद एक छोटा प्रवालद्वीप है जो प्रतिबंधित है इसे प्रतिबंधित किया गया इसकी वजह तो साफ नहीं हो पाई लेकिन कहा जाता है कि आईलैंड का इतिहास रहा है
आइए हम कुछ ऐसी और ही जगहों के बारे में जानते हैं जो ब्रिटेन में मौजूद प्रिंस पोर्ट रोड पर स्थित स्टॉप टोन ऑन इस गूगल पर बैन है बर्फ से ढका रहने वाला आईलैंड 1.2 मील लंबा है माना जाता है कि रूस और अमेरिका में तनातनी की वजह से ही आई लैंड को गूगल मैप पर ब्लॉक कर दिया गया है पोलैंड की स्पेशल फोर्स कमांड की ट्रेनिंग वहां होती है यह गूगल पर है जिससे कोई भी इस पर हानि न पहुंचे इसके अलावा नार्थ कोरिया के कई हिस्से गूगल पर नहीं देख सकते ग्रीस की राजधानी एथेंस में मौजूद मिलिट्री बेस भी गूगल मैप पर पूरी तरह ब्लर किया गया है यह बहुत ही सुरक्षा कारणों की वजह से किए जा रहे हैं तो ऐसा करना सही है ताकि किसी को नुकसान ना पहुंचे और किसी की रहस्यमई बातें कहीं छेड़खानी ना हो।
स्मार्टफोन बाजार में दो ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन्स ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। इनमें से एक है iOS और दूसरा है Android। iOS वाले प्रोडक्ट तो साल में एक बार लॉन्च होते हैं लेकिन Android वाले फोन्स तो डेली ही लॉन्च होते रहते हैं।
जहां बात अपडेट देने की आती है तो इसमें एप्पल को अब तक कोई हरा नहीं पाया है। समय-समय पर एप्पल आईफोन पर अपडेट देती रहती हैं, वहीं एंड्रॉयड यूजर्स अपडेट का इंतजार करते ही रह जाते हैं।
आपको बता दें कि एप्पल ने 72% आईफोन्स तक iOS 15 का अपडेट पहुंचा दिया है। अब iOS 14 महज 25 फीसदी फोन्स में ही रह गया है और सिर्फ 2% आइफोन्स इससे पुराने वर्जन पर काम कर रहे हैं। एप्पल कंपनी चार से पांच साल पुराने 63% आईफोन्स पर भी iOS 15 का अपडेट पहुंचा चुकी है।
एंड्रॉयड को क्यों नहीं मिल रहा अपडेट
गूगल एंड्रॉयड के लेटैस्ट वर्जन पर काम करने वाले फोन्स के लिए अपडेट जारी नहीं करती है। पुछले साल नवंबर में गूगल ने Android 12 जारी किया था और अब भी 26.5% एंड्रॉयड फोन्स एंड्रॉयड 10 पर काम कर रहे हैं जिसे कि वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था। Android 11 वाले फोन्स की संख्या भी महज 24.2% ही है। फिलहाल एंड्रॉयड 12 के यूजर्स कितने हैं यह अभी एक राज है, हालांकि कुछ कंपनियों ने अपने फोन्स के लिए Android 12 का अपडेट देना शुरू कर दिया है। आपको जानकार हैरानी होगी कि अभी भी 18.2% फोन्सAndroid 9 Pie पर काम कर रहे हैं और 13.7% फोन में अभी भी Android 8 Oreo है।
इन आंकड़ों से यह पता चल जाता है कि एंड्रॉयड फोन के मुकाबले आईफोन पर भरोसा लोग क्यों करते हैं। एप्पल पांच साल पुराने फोन को भी अपडेट दे रही है, लेकिन एंड्रॉयड फोन अभी भी 3 से 4 साल पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम वर्जन पर काम कर रहे है।
मोबाइल फोन पर किसी अंजान व्यक्ति से बात करते समय कॉल को मर्ज न करें। ऐसा करने पर आपका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो सकता है। इसके जरिये साइबर अपराधी आपके बैंक खाते तक भी पहुंच सकते हैं।
साइबर धोखाधड़ी लगातर बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार ने चेतवानी जारी की। इसमें कहा है कि साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।
अपना OTP किसी से साझा न करें।
गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को अपने ट्विटर हैंडल ‘साइबर दोस्त’ के जरिये ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) को लेकर भी चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि फोन पर कभी भी किसी अंजान व्यक्ति से बात करते समय कोई और कॉल मर्ज न करें।
कॉल मर्ज होते ही जालसाज ओटीपी जानकर आपका बैंक मेट्रो, रेलवे स्टेशन, पार्क समेत ऐसी कई जगहों पर फ्री वाईफाई की सुविधा है। अक्सर लोग इंटरनेट बचाने और फ्री वाईफाई के चक्कर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी पब्लिक वाईफाई के जरिए कर लेते हैं। इन फ्री वाईफाई में कुछ फ्रॉड भी हो सकते है। इस स्थिति में अगर आप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं, तो आपकी बैंक से जुड़ी निजी जानकारी उनके पास चली जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि, पब्लिक वाईफाई से कभी भी अपने ट्रांजेक्शन ना करें। पर भी शिकायत कर सकते हैं। साइबर दोस्त साइबर सुरक्षा पर जानकारी साझा करता है।
डिजिटल भुगतान या बैंक से जुड़े कोई भी लेनदेन करते समय मोबाइल नंबर एक ओटीपी आता है। इसके डालने के बाद ही लेनदेन पूरी होती है। ऐसे में अपना ओटीपी नंबर किसी से साझा न करें। इसके अलावा, ज्यादातर लोग फोन और मैसेज के जरिये भी ओटीपी साझा कर देते हैं। ऐसा करने से बचें अन्यथा आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।
पब्लिक वाईफाई से लेनदेन करने से बचें
फ्री wifi का यूज करने से बचें।
मेट्रो, रेलवे स्टेशन, पार्क समेत ऐसी कई जगहों पर फ्री वाईफाई की सुविधा है। अक्सर लोग इंटरनेट बचाने और फ्री वाईफाई के चक्कर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी पब्लिक वाईफाई के जरिए कर लेते हैं। इन फ्री वाईफाई में कुछ फ्रॉड भी हो सकते है। इस स्थिति में अगर आप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं, तो आपकी बैंक से जुड़ी निजी जानकारी उनके पास चली जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि, पब्लिक वाईफाई से कभी भी अपने ट्रांजेक्शन ना करें।
इंटरनेट के बहुत से फायदे हैं तो नुकसान भी हैं। ऐसे में इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है। इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए बहुत से लोग गूगल क्रोम ब्राउजर का उपयोग करते हैं।
अक्सर लोग गूगल क्रोम पर बार-बार लॉग-इन करने से बचने के लिए जीमेल सहित सर्विस के लॉगइन आईडी और पासवर्ड को सेव कर देते हैं। बता दें कि ऐसा करना यूजर को भारी पड़ सकता है। ऐसे में गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते वक्त भूलकर भी कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए नहीं तो हैकिंग का शिकार हो सकते हैं।
हो सकते हैं हैकिंग का शिकार
हाल ही में सिक्योरिटी एक्सपर्ट कंपनी AhnLab ने एक रिपोर्अ में इस बात का खुलासा किया है कि एक वायरस गूगल क्रोम से आपके लॉगइन आईडी और पासवर्ड चुरा सकता है। दरअसल सिक्योरिटी फर्म ने रेडलाइन स्टीलर नाम के एक मैलवेयर की पहचान की है। यह मैलवेयर गूगल क्रोम में सेव लॉगईन आईडी और पासवर्ड चुराने का काम करता है। ऐसे में हैकर्स इस मैलवेयर के जरिए आपकी पर्सनल डिटेल हासिल कर सकते हैं। साथ ही बैंकिंग फ्रॉड जैसी घटनाओं को भी अंजाम देते हैं।
एंटीवायरस भी नहीं करेगा काम
रिपोर्ट के अनुसार, यह मैलवेयर काफी खतरनाक है। यहां तक की इस मैलवेयर पर एंटीवायरस का भी असर नहीं होता है। बताया जा रहा है कि यह मैलवेयर कंपनी के वीपीएन तक पहुंचकर लॉग-इन और पासवर्ड चोरी करने में माहिर है। ऐसे में यूजर्स से गूगल क्रोम में अपना लॉग-इन आईडी पासवर्ड सेव ना सेव करने की सलाह दी गई है। इस मैलवेयर पर एंटीवायरस का असर नहीं होता है।
इस मैलवेयर से बचने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। भूलकर भी गूगल क्रोम ब्राउजर पर कोई भी पासवर्ड ना सेव करें। इसके साथ ही अपने पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें। हमेशा सिक्योर और ऑफिशियल वेबसाइट का इस्तेमाल करें। इसके अलावा मेल, मैसेज या व्हाट्सऐप पर आने वाले किसी अनजान लिंक को क्लिक न करें। पर्सनल डेटा और अन्य जरूरी फाइल को बिना प्रोटेक्शन के सेव करके न रखें।
देश के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर टीसीएस (TCS) को पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम (PSP) का दूसरा फेज शुरू करने की अनुमति मिल गई है.
ई-गवर्नेंस प्रोग्राम के तहत भारत के लाखों लोगों का पासपोर्ट बनाया जाएगा. इसमें टाटा की कंपनी टीसीएस सबसे नई आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगी. टीसीएस इस बार ई-पासपोर्ट (e-passport) भी शुरू करने जा रही है जिसका इंतजार कई वर्षों से है.
टीसीएस ने ई-पासपोर्ट के बारे में कहा है, इसकी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी हम लेकर आ रहे हैं, लेकिन पासपोर्ट पास करना या छापने का काम केंद्र सरकार ही करेगी. लोगों के ऐसे सवाल हैं कि क्या ई-पासपोर्ट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक होगा या उसका रूप कैसा होगा. इस बारे में टीसीएस ने साफ कर दिया है कि e-passport पूरी तरह से पेपर-फ्री नहीं होगा और उसमें कुछ कागज भी होंगे. कागज की जरूरत इसलिए होगी क्योंकि वीजा स्टांपिंग का काम अभी चल रहा है जो कागज पर ही हो सकेगा. कंपनी का कहना है कि बाद में ऑटोमेशन के जरिये कागज की जरूरत को खत्म किया जा सकता है.
पासपोर्ट के जैकेट (ऊपरी पन्ना) में एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी होगी जिसमें सुरक्षा से जुड़ी सभी जानकारी दर्ज होगी. दुनिया के कई देशों में ई-पासपोर्ट है और कई देश इस पर काम भी कर रहे हैं. लेकिन भारत का ई-पासपोर्ट बाकी देशों से बिल्कुल अलग होगा. बस कुछ महीनों की बात है और भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा जहां ई-पासपोर्ट का चलन है. टीसीएस ने देश में पहले फेज का पासपोर्ट कार्यक्रम भी चलाया है जिसमें 8.6 करोड़ से अधिक लोगों को पासपोर्ट जारी किया गया. भविष्य में भारत के लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्से में यात्रा करेंगे और इससे पासपोर्ट बनाने का काम और तेज होगा.
जारी करने का काम सरकार का
पासपोर्ट छापने और जारी करने के अलावा इससे जुड़े सभी काम टीसीएस ही देखेगा. इसके लिए तीसरा डेटा सेंटर तैयार किया जा रहा है जिसमें लोगों की जरूरी जानकारी स्टोर की जाएगी. पहले फेज में दो डेटा सेंटर बनाए गए थे. इस प्रोजेक्ट के लिए कंपनी सैकड़ों टेक्नोलॉजी वर्कर की भर्ती करेगी. इसके साथ ही पासपोर्ट सेवा केंद्र के लिए फ्रंट ऑफिस स्टाफ की भी भर्ती की जाएगी. ई-पासपोर्ट में बायोमेट्रिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस डाटा एनालिटिक्स, चैटबोट, ऑटो रेस्पोंस, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और क्लाउड का इस्तेमाल किया जाएगा. लोगों का जैसा उपयोग और अनुभव होगा, उस हिसाब से ई-पासपोर्ट में सुविधाएं जोड़ी जाएंगी.
फिंगरप्रिंट और आईरिस का इस्तेमाल
पासपोर्ट में फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल पहले से होता है. फिंगरप्रिंट भी बायोमेट्रिक का हिस्सा है. इसलिए ई-पासपोर्ट में फिंगरप्रिंट तो रहेगा ही, इसके अलावा भी कई तरह की सुविधाएं जोड़ी जाएंगी. व्यक्ति की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट के अलावा आईरिस और अल्गोरिदम का उपयोग होगा. आईरिस का प्रयोग वैसे ही होगा जैसा आधार आदि में किया जाता है. आईरिस से भी व्यक्ति की पहचान होती है और इससे फर्जीवाडे को रोकने में मदद मिलेगी. ई-पासपोर्ट में आईरिस की सुविधा भी बढ़ने जा रही है.
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